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अपने चाहने वालों के लिए राजेश खन्ना का आखिरी संदेश

बॉलीवुड के पहले सुपर स्टार राजेश खन्ना 18 जुलाई को गुजर गए थे। हालांकि उन्होंने कुछ ही दिन पहले अपने फैन्स के लिए एक ऑडियो मेसेज रिकॉर्ड किया था। उनके परिवार ने अब इसे जारी किया है। फिल्म आनंद में भी राजेश खन्ना ने अपनी मौत से पहले एक ऑडियो मेसेज रिकॉर्ड किया था। कुछ उसी तरह है काका का ये संदेश,इसमें उन्होंने अपने करियर की शुरुआत याद करने के साथ तहेदिल से अपने फैन्स का शुक्रिया अदा किया है।
‘मेरे प्यारे दोस्तों, भाइयों और बहनों, नॉस्टैल्जिया में रहने की आदत नहीं है मुझे। हमेशा भविष्य के बारे में ही सोचना पड़ता है। जो दिन गुजर गए हैं, बीत गए हैं, उस का क्या सोचना। लेकिन जब जाने-पहचाने चेहरे अनजान सी एक महफिल में मिलते हैं तो यादें बाविस्ता हो जाती हैं। यादें फिर दोबारा लौट आती हैं।’

‘कभी-कभी मुझे ऐसे लगता है जैसे सौ साल पहले जब मैं दस साल का था, तब से हमारी मुलाकात है। मेरा जन्म थिएटर से हुआ। मैं आज जो कुछ भी हूं, ये स्टेज, ये थिएटर की बदौलत। मैंने जब थिएटर शुरू किया तो मेरे थिएटरवालों ने मुझे जूनियर आर्टिस्ट का रोल दिया था। एक इंस्पेक्टर का, जिसका सिर्फ एक ही डायलॉग था कि खबरदार नंबरदार भागने की कोशिश की, पुलिस ने चारों तरफ से घेर रखा है तुम्हें। ये डायलॉग था। तो उसमें मैं जैसे सेकेंड एक्ट में गया तो मैंने जाकर कहा, नंबरदार खबरदार, तुमने भागने की... उसके बाद डायलॉग भूल गया। तो वीके शर्मा जो थे, हीरो थे, उन्होंने कहा, हां-हां, इंस्पेक्टर साहब का यह कहना है कि भागने की कोशिश न करना, पुलिस ने चारों तरफ से तुम्हें घेर रखा है।‘

‘जो डायलॉग मैंने बोलना था, उन्होंने पूरा किया क्योंकि मैं डायलॉग भूल गया। उसके बाद मुझे बहुत डांट पड़ी, मैं बहुत रोया भी। मैंने कहा कि भई राजेश खन्ना तुम एक्टर बनना चाहते हो और एक लाइन तो तुमसे बोली जाती नहीं है। शर्म की बात है, लानत है तुमपे। मैंने बहुत कोसा अपने आप को और मैंने कहा कि कभी एक्टर नहीं बन सकता।‘
‘लेकिन फिर भी भगवान की मुस्कान समझ लीजिए, जिद समझ लीजिए। मैंने कहा, कुछ न कुछ तो करूंगा, करके बताऊंगा। मैं जब फिल्मों में आया तो मेरा कोई गॉडफादर नहीं था। मेरी फिल्म में कोई रिश्तेदार या कोई सर पर हाथ रखने वाला नहीं था। मैं आया थ्रू द यूनाइटेड प्रोड्यूसर्स फिल्मफेयर टैलेंट कॉन्टेस्ट। कॉन्टेस्ट छपा फिल्मफेयर में, टाइम्स ऑफ इंडिया में, हमने कैंची लेकर उसे काटा, उसे भरा और वहां लिखा था प्लीज सेंड थ्री फोटोग्राफ्स। हमने तीन फोटो भेजीं। हमको बुलाया गया। टाइम्स ऑफ इंडिया में था’
‘यूनाइटेड प्रोड्यूसर्स। वहां पर बड़े-बड़े प्रोड्यूसर्स थे। चाहे वह चोपड़ा साहब थे, बिमल रॉय थे, एसएस द्रविड़ थे... शक्ति सामंत थे, बहुत सारे थे।’
‘उन्होंने कहा कि हमने आपको डायलॉग भेजा है, वो याद किया आपने? तो मैं सामने कुर्सी पर बैठा था और वे एक बड़ी सी टेबल में लाइन में। इतने बड़े-बड़े प्रोड्यूसर्स थे, मुझे ऐसा लग रहा था जैसे कोर्ट मार्शल हो रहा है। जैसे ये बंदूक निकालेंगे और मुझे मार डालेंगे, गोली चला देंगे... क्योंकि सामने अकेली एक कुर्सी थी बस। तो मैंने कहा कि डायलॉग तो मैंने पढ़ा है लेकिन यह जो डायलॉग है, आपने यह नहीं बताया कि इसका कैरक्टराइजेशन क्या है? कि हीरो अपनी मां को समझाता है कि मैं एक नाचनेवाली से प्यार करता हूं लेकिन मैं उसको तेरे घर की बहू बनाना चाहता हूं। दिस वाज द डायलॉग जिसका मेन रोल था। मैंने कहा, आपने न कैरेक्टर बताया मां का, न बताया हीरो का कि भई अमीर है, गरीब है, मां सख्त, कड़क है, नरम है, क्या है, मिडिल क्लास है, यह आदमी पढ़ा-लिखा, अनपढ़ है या कुछ भी नहीं, तो चोपड़ा साहब ने मुझे झट से कहा कि तुम थिएटर से हो? मैंने कहा - जी....’
‘मैंने कहा, डायलॉग तो आपने लिखके भेज दिया कि इस तरह मां को कनविंस करना है। डायलॉग बोलिए लेकिन आपने कैरक्टराइजेशन नहीं बताया। यह कोई स्टेज का एक्टर ही बोल सकता है। तो बोले अच्छा ठीक है भई, तुम कोई भी अपना एक डायलॉग सुनाओ। अब काटो तो खून नहीं, पसीना छूट रहा था। मैंने कहा, क्या डायलॉग बोलूं... और ये सब बड़े-बड़े लोग। इनकी पिक्चरें हमने 10-10 बार देखी हुईं, प्रोड्यूस-डायरेक्ट की हुईं।’
‘मुझे भगवान के आशीर्वाद से एक ऐसे राइटर का डायलॉग याद आया। मुझको यारों माफ करना। उस प्ले का डायलॉग क्योंकि मैंने वह प्ले किया हुआ था। तो मुझे वह डायलॉग याद आया और मैंने उनसे कहा कि मैं इस कुर्सी से उठ सकता हूं। तो कहा, हां-हां, जो करना है करिए लेकिन आप करके बताएं कि क्या करेंगे। तो थोड़ा नर्वस भी हुआ। जिस तरह से बोला, मुझे लगा डांट के बोल रहे हैं। जो डायलॉग है, जिसकी वजह से मैं फिल्मों में आया। मुझे जी पी सिप्पी ने चांस दिया 40 साल पहले, 'हां, मैं कलाकार हूं, हां मैं कलाकार हूं, क्या करोगे मेरी कहानी सुनकर? आज से कई साल पहले होनी के बहकाने से एक ऐसा प्याला पी चुका हूं, जो मेरे लिए जहर था। औरों के लिए अमृत... एक ऐसी बात जिसका इकरार करते हुए मेरी जुबान पर छाले पड़ जाएंगे, लेकिन फिर भी कहता हूं कि जब मैं छोटा था, एक खौफनाक वाकया पेश आया क्योंकि मैं एक भयानक आग में फंस गया। जब जिंदा बचा तो मालूम हुआ कि मैं बदसूरत हो गया हूं। जैसे सुहानी सुबह डरावनी रात में पलट गई हो।’
‘मैं बाहर जाने से घबराने लगा और घर पर बैठकर गीत बनाने लगा। जितना भयानक था मेरा चेहरा, उतने मधुर थे मेरे गीत। दुनिया ने मुझे दुत्कारा लेकिन मेरे गीतों से प्यार करने लगे और मैं चिल्लाता रहा कि तुमने चांदनी रातों से मोहब्बत की और मैं आंखों से बरसाता हूं सितारे। मेरे गीतों ने हजारों को लूटा मेरी मुलाकात की मिन्नतें होती रहीं। पर मैं किसी से न मिलता। एक दिन एक खत आया, मैंने तुम्हारे गीतों में शांति पाई अगर मुलाकात न हुई तो न जाने क्या कर बैठूंगी। मुझे लगा यह खूबसूरत हसीना। इसे बुलाऊं। यह बदसूरत चेहरा दिखाकर पूरी ताकत से इंतकाम लूं। मैंने उसे बुलाया। वह आई। कितनी खूबसूरत और हसीन। शबनम से भी मुलायम और मैं जैसे, मासूम के सामने मायूसी... मैं चेहरा छुपा के बातें करता रहा, मेरे गीत शुभनमे थे। मैंने शादी का प्रस्ताव पेश किया। और वह खुशी से बोली, हां मुझे मंजूर है। मैं खुद सहम गया, मैंने चिल्ला के पूछा, कौन हो, कहां से आई हो तुम... उसने धीरे से आंसू बहाते हुए कह दिया कि मैं... मैं तो एक अंधी हूं। मैंने उसकी आंखों में देखा, उसकी आंखों में इश्क था। तब मैंने कहा कि जो तेरी निगाह का बिस्मिल नहीं, वह कहने को दिल तो है मगर दिल नहीं...’
‘फिल्मों में आ तो गया लेकिन आने के बाद वह खूबसूरत कामयाबी कि सीढ़ी चढ़ने का मौका, यह सेहरा तो आपके सर है... कि आप हैं, जिन्होंने मुझे एक्टर से स्टार बनाया। स्टार से सुपर स्टार बनाया। किन अल्फाजों में आपका शुक्रिया अदा करूं, मुझे समझ में नहीं आता। प्यार आप मुझे भेजते रहें, प्यार वह मुझे मिलता रहा... लेकिन उस प्यार को मैं कभी वापस लौटा नहीं पाया। लेकिन जो भी कहना चाहूंगा, जिन अल्फाजों में भी आपका शुक्रिया अदा करना चाहूंगा... वह मेरी दिल की सच्चाई होगी। मेरी ईमानदारी होगी। मेरा जमीर होगा। आज मेरा दिल हल्का हुआ, आपसे गुफ्तगू करके, बात करके और आपका मैंने शुक्रिया अदा किया। मुझे खुद को अच्छा लग रहा है कि चलिए इस बहाने आपसे मुलाकात हुई। किसे अपना कहें, कोई इस काबिल नहीं मिलता, किसे अपना कहें... कोई इस काबिल नहीं मिलता, यहां पत्थर तो बहुत मिलते हैं लेकिन दिल नहीं मिलता।’
‘तो दोस्तों, आपका एक हिस्सेदार मैं भी हूं। और जैसे मैंने पहले भी कहा कि आपने अपना कीमती वक्त निकाला, आपका ये प्यार था कि आप मौजूद हुए और इतनी भारी संख्या में... तो मैं यही कहूंगा कि बहुत-बहुत शुक्रिया, थैंक यू और मेरा बहुत-बहुत सलाम।’


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